शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

ग़ज़ल

वो अपना हो के पराया लगाव ऐसा हो /
दिलो को जीत ले तेरा सुभाव ऐसा हो //
जुडो किसी से भी लेकिन जुडाव ऐसा हो /
के सर के साथ झुके दिल झुकाव ऐसा हो //
चलन को तेरे हमेशा जमाना याद रखें /
चले जंहा से तो कुछ चल चलाव ऐसा हो //
खिचे खिचे चले आंयें खिचे हो कितना ही /
तेरे खुलूस का उन पर दबाव ऐसा हो //
सियासी जंग में ए काश वो भी दिन आंए /
न कोई हारे न जीते चुनाव ऐसा हो //
सुझाव दे तो रहें हो सुझाव दो लेकिन /
सभी के हक में सही हो सुझाव ऐसा हो //
न दिल का करब हो जाहिर ''सुहैल '' आँखों से /
तुम्हारे चेहरे का कुछ हाव भाव ऐसा हो //

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्‍या बात कही है, जनाबे आला.

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  2. सियासी जग में काश वो दिन भी आये,न कोई जीते न हारे चुनाव ऐसा हो। ख़ूबसूरत शे:र ,अच्छी ग़ज़ल्। मुबारकबाद।

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