गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

ग़ज़ल

ये मेरे वतन तेरा हर क़र्ज़ चूका देंगे
हम तेरी मोहब्बत में जां अपनी लुटा देंगे /
कारगिल हो बरलिक हो या और कोई सेक्टर
हर मोर्चे से अब उनको हम लोग भगा देंगे /
इस देश की मिट्टी से हमको भी मोहब्बत है
इस देश की मिट्टी में हम मिल के दिखा देंगे /
इस देश की सरहद पर जो आँख उठाएगा
कारगिल की तरह उसको सरहद से भगा देंगे /
ज़ज्बाते अकीदत है अशआर '' सुहैल '' अपने
हम मादरे भारत पर जां अपनी लुटा देंगे //

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